स्वस्थ शरीर के लिए पेट का स्वस्थ होना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन भागदौड़ वाली जीवनशैली और समय की कमी की वजह से हम अकसर बाहर के खाने पर निर्भर हो गए हैं। इस वजह से ज्यादातर लोगों में पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएँ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।ऐसिडिटी, कब्ज, हार्टबर्न, पेट दर्द जैसी पेट से जुड़ी बीमारियाँ होना तो आजकल आम बात सी हो गई है। अगर आप भी कुछ ऐसी समस्याओं से परेशान हैं तो कुछ आसानी से मिलने वाली घरेलू चीजों का सेवन कर अपने पाचन तंत्र को दुरुस्त रख सकते हैं। आइए जानते हैं इन चीजों के बारे में…
एसिडिटी के लक्षण व कारण :
एसिडिटी में मुख्यतः पेट में भारीपन रहना , कड़वी खट्टी डकारें आना , पेट व पेट के ऊपरी हिस्से में जलन होना, मन में बेचैनी रहना व व्यवहार में चिड़चिड़ापन आना ,यही लक्षण ज्यादातर दिखाई पड़ते हैं । इनके साथ साथ न जाने और कितनी तरह के भय मन के भीतर व्याप्त होने लगते हैं क्योंकि हम सोचने लगते हैं कि कहीं ये सब लक्षण किसी बड़ी बीमारी की ओर इशारा तो नहीं कर रहे!
यदि आप एसिडिटी की प्रारंभिक अवस्था में हैं तो आपको भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है और यदि आप कई वर्षों से इस बीमारी से पीड़ित हैं तब भी भयभीत होने से यह ठीक नहीं होगी।अपितु यदि हम विचार करके इसके कारण को समझते हुए ,उस कारण को हटाने का प्रयत्न करें तो आप इससे मुक्ति पा सकते हैं।
कुछ भूल हो रही है हमारी दिनचर्या में , कुछ भूल हो रही है हमारे भोजन में , कुछ भूल हो रही है हमारे चिंतन मनन में , हमारे आचरण विचार में । यदि हम उसको ठीक कर लें एवं अपनी दिनचर्या में सही भोजन, व्यायाम व कार्य तीनों में संतुलन बना लें , तो निश्चित जानिए इसे सरलता से ठीक किया जा सकता है।
एसिडिटी के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि पाचन तंत्र का कमज़ोर होना, भोजन का अच्छे से न पच पाना , तेज़ खट्टी चीजों का अधिक सेवन करना और हमारे अमाशय के किसी पार्ट का कुशलता से काम नहीं कर पाना , जहाँ स्टमक में एसिडिक जूसों को कॉन्सेंट्रेटिड फ़ॉर्म में आकर के ,भोजन को अच्छे से पचाकर ,उसे ठीक से आगे भेजना था ,वहां पर बल नहीं होना ।। इन्हीं वजहों से बार बार हाइपर एसिडिटी (Hyper Acidity) होती है। पेट के भीतर सूजन तक रहने लग जाती है।
ओवर सेन्सिटिविटी : थोड़ी सी खट्टी चीज खाते ही एकदम से भयंकर जलन होने लगती है।
तो आइए कुछ प्राकृतिक तरीक़ों से इस एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाएँ।
एसिडिटी की समस्या से मुक्ति के लिए उपाय : एसिडिटी के उपचार के लिए सबसे पहले हमें अपने आहार में दो तीन मुख्य चीजों को जोड़ना होगा।
एसिडिटी से बचने के उपचार :
1) कासनी –
कासनी (सूखी घास के जैसे छोटे -छोटे तिनके से) किसी भी पंसारी की दुकान में मिल जाएगी। कासनी को पहले आप अच्छी तरह से धो लें । फिर एक चम्मच कासनी को रातभर एक गिलास पानी में भिगोकर ,ढककर रख दें। सुबह उठकर सबसे पहले एक गिलास ताजा साधारण पानी पीएँ। फिर उसके 10-15 मिनट बाद कासनी के पानी को छान लें एवं छाने हुए पानी का सेवन करें। पानी का स्वाद बिल्कुल सामान्य सा ही रहेगा ।

इसी तरह से एक चमच्च कासनी सुबह एक गिलास पानी में भिगोकर व ढककर रखें तथा शाम को लगभग 5 -6 बजे इसका सेवन करें।
2) बादाम व कद्दू के बीज : 10-12 बादाम की गिरी व आधा चम्मच कद्दू के बीज एक कटोरी पानी में शाम को भिगोकर रखें और सुबह पानी हटा दें एवं बादाम व कद्दू के बीजों को चबा चबाकर खाएँ।
बेहतर रहेगा अगर आप बादाम के छिलके को हटा दें।यह खाने के लगभग आधे से एक घंटे बाद आप अपना भूख अनुसार भरपेट भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
3) सेब का सिरका :
बादाम व कद्दू के बीज एवं भोजन के बीच के अंतराल में लगभग भोजन से 10 मिनट पूर्व आप आधा चमच्च सेब के सिरके को एक कप पानी में मिलाकर उसका सेवन करें।
ध्यान रखें कि आपको इसे जल्दबाज़ी में नहीं पीना है। धीरे धीरे सिप-सिप करके, छोटी छोटी घूँट लेते हुए पीएँ।
4) भोजन :
भोजन में हरी ताजी सब्जियाँ व हरी चटनी जरूर शामिल करें।
अन्न में आपको परिवर्तन लाना होगा । एक हिस्सा जौं के आटे का लीजिए, एक हिस्सा चने के आटे का, एक हिस्सा जई के आटे का व एक हिस्सा चोकर सहित गेंहूँ के आटे का – इन सभी को मिलाकर उस आटे से बनी चपाती का सेवन करें। इस आटे में आप हरा धनिया भी मिला सकते हैं।
अन्य विकल्प के लिए हम जौं का दलिया, सब्जियाँ मिलाकर लें व उसमें दो चमच्च देसी घी डालकर उसका सेवन कर सकते हैं।
5) देसी घी : देसी गाय का शुद्ध देसी घी अपने आहार में जरूर सम्मलित करें। यदि आप चपाती के साथ सब्जियों का सेवन कर रहे हैं तो उसमें 2 चमच्च देसी घी अवश्य डालें और यदि आप दलिया खा रहे हैं तो उसमें भी आप देसी घी डाल सकते हैं।
6) मौसम के फल :
भरपेट भोजन के उपरान्त जब भी आपको भूख लगे ,तो आप भोजन के 3 या 4 घंटे बाद मौसम के पके हुए ताजा फलों का सेवन कर सकते हैं।तेज़ खट्टे फलों का सेवन ना करें।
ध्यान रखें कि दिन में केवल दो बार ही भोजन(अन्न का सेवन )करें।

7) ईसबगोल :
रात में सोने से पहले 2 चमच्च इसबगोल – एक गिलास गर्म पानी के साथ ले सकते हैं ।
4 से 5 दिन तक यही दिनचर्या अपनाएं और फिर उसके बाद एक – दो दिन केवल फलाहार ही लें। फलाहार के साथ आप कासनी के पानी का उपयोग निरंतर रख सकते हैं।
8) नेचुरोपैथी उपचार : कटिस्नान:
किसी भी तरह के एक बड़े टब में ताजा पानी भर लीजिए और आराम से उसमें बैठ जाइए। अगर टब का आकार छोटा हो तो आप अपने पाँव टब के बाहर रखते हुए आराम से बैठ सकते हैं ।लेकिन यदि टब का आकार काफी बड़ा है तो आप अपने पांव टब के भीतर ही रखते हुए थोड़ा आरामदायक अवस्था में बैठें। कोशिश करें कि टब में पानी आपकी नाभि तक या नाभि से 3-4 उंगली ऊपर तक रहे। ध्यान रहे कि आपकी छाती नहीं भीगनी चाहिए।
यदि आप इस उपचार को 15 से 20 मिनट सुबह व 15 से 20 मिनट शाम को खाली पेट करते हैं तो इससे आपकी आँतें स्वस्थ रहेंगी व आपका पाचन तंत्र पुनः मज़बूत हो जाएगा एवं आप एसिडिटी से छुटकारा पा सकते हैं।

एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें व क्या न करें :
क्या करें-
1) भोजन के साथ पानी ना पीएँ । भोजन के एक घण्टे बाद आप पानी पी सकते हैं।
2) प्रयास करें कि रात्रि का भोजन आप 7 से 8 बजे के पहले ही कर लें।
3) सुपाच्य व जल्दी पचने वाली सब्जियां जैसे घीया, तोरी, टिंडा ,परवल आदि सब्जियों का ही अधिक सेवन करें।
4) ऊपर बताई गई दिनचर्या का पालन अवश्य करें।
5) भोजन व अन्य आहार से एक घण्टे बाद दिन भर में बार बार पानी पीते रहें।
क्या न करें –
1) भोजन के तुरंत बाद पानी न पीयें।
2) एक बार भरपेट भोजन के 3 से 4 घण्टे बाद तक कुछ न खाएं ।
3) तली हुई चीजों से परहेज करें।
4) आलू, फूलगोभी ,भिंडी,अरबी ऐसी सब्जियों का सेवन न करें।
5) खट्टे फल व अन्य खट्टी चीजें न खाएँ।
6) हड़बड़ाहट व चिंता में भोजन न करें।
“आहार ही औषधि है भोजन ही दवा है फ़ूड इज़ मेडिसन “
इसका ध्यान दीजिए , पालन कीजिए व स्वस्थ हो जाइए ।
शुभ कामनाएँ 🙏
डा. वीरेन्द्र आर्यव्रत





